कोरोनावायरस: इस महामारी का आपकी जेब पर क्या होगा असर?


 


विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोनावायरस का अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर होगा


क्या किसी ने सोचा होगा कि अमरीका की दुल्हन के पास अपनी शादी की पोशाक नहीं होगी, वो भी चीन में फैले कोरोनावायरस की वजह से? वास्तव में ऐसा हो रहा है. इससे पता चलता है कि एक बीमारी को रोकने के लिए किए गए अब तक के सबसे बड़े प्रायस का पूरी दुनिया पर क्या असर हो रहा है.


चीन में फैले वायरस का आप जो सामान ख़रीदते हैं और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या असर हो सकता है इसके अनुमान आने लगे हैं.


लंदन स्थित कंसलटेंसी फ़र्म केपिटल इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि साल 2020 के पहले तीन महीनों में ही अर्थव्यवस्था को 280 अरब डॉलर की चपत लगेगी.


ये समूचे यूरोपीय यूनियन के सालाना बजट, माक्रोसॉफ्ट के सालाना रिवेन्यू या एप्पल के सालाना रिवेन्यू से ज़्यादा है. अगर आप किसी देश का उदाहरण लें तो ये नाईजीरिया की सरकार के सालाना बजट से आठ गुणा ज़्यादा है.


ऐसा इसलिए ही क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जिसे विश्व की फ़ैक्ट्री भी कहा जाता है, इस बीमारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित है.


लेकिन इसका आपकी जेब पर और जो सामान आप ख़रीदते हैं उनकी क़ीमतों पर क्या असर हो सकता है?


आप ये समझ सकते हैं कि जिस कम्प्यूटर, टेबलेट या फ़ोन पर आप ये लेख पढ़ रहे हैं, बहुत संभव हो कि वो चीन में बना हो या उसमें चीन में बने पुर्जे लगे हों.


गेजेट की बात छोड़िए, आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस कोरोनावायरस की वजह से क्या-क्या चीज़ें प्रभावित हो रही हैं.


शादी में नहीं मिल पाएंगी पोशाक़ें


वेडिंग ड्रेस उद्योग पर चीन का प्रभुत्व है


मारियाना ब्रेडी ने ये नहीं सोचा था कि जब जुलाई में उनका शादी समारोह होगा तो उनके पास पहनने के लिए वेडिंग ड्रेस ही नहीं होगी.


जब बीबीसी की सोशल मीडिया विशेषज्ञ ब्रेडी ने बीते साल दिसंबर में ऑर्डर दिया था तब उन्हें पता नहीं था कि उनकी शादी का गाउन चीन से आएगा.


दुनियाभर में शादी समारोह में पहनी जाने वाले अस्सी प्रतिशत वेडिंग गाउन चीन के सुझोऊ शहर में बनते हैं.


लेकिन चीन में वायरस फैलने के बाद से लगी सख़्त पाबंदियों की वजह से शादी की पोशाक़ों का उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है.


लोगों के जमावड़े को रोकने के लिए फ़ैक्ट्रियां बंद हैं, तो उत्पादन भी बंद है.


जो बना हुआ माल भंडार में रखा भी है, वो यात्रा प्रतिबंधों की वजह से नहीं निकल पा रहा है.


ब्रेडी को ईमेल के ज़रिए बताया गया कि मार्च में होने वाली ड्रेस की डिलीवरी अब जुलाई में होगी, उनकी शादी की तारीख़ से एक सप्ताह बाद.


ब्रेडी कहती हैं, "मैं अपने इस अल्पज्ञान पर हैरान थी कि ये ड्रेस चीन में बनने वाली है. मैं इस स्थिति से तो ग़ुस्से में नहीं थी लेकिन मेरे जैसे लोगों पर कोरोनावायरस के प्रभाव को देखकर मैं परेशान हो गई."


अमरीका में रहने वाली ब्रेडी अब शादी पर पहले से पहनी गई पोशाक़ पहनेंगी.


मोबाइल फ़ोन


The shutdown of factories and the restriction of travel as part of the efforts to tackle the outbreak have affected China's industrial output


चीन की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है. लेकिन कुछ ही सेक्टर ऐसे हैं जिनपर स्मार्टफ़ोन सेक्टर से ज़्यादा असर हुआ हो. चीन दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक और निर्यातक है.


कई हैंडसैट की कमी होगी, एप्पल का आईफ़ोन भी उनमें से एक है.


एप्पल ने 17 फ़रवरी को बताया था कि कोरोनावायरस की वजह से आईफ़ोन के उत्पादन और बिक्री पर असर हुआ है. कंपनी ने ये भी कहा था कि दुनियाभर में आईफ़ोन की सप्लाई प्रभावित होगी.


मार्केट रिसर्च फ़र्म कैनेलिस के मुताबिक अक्तूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच चीन के स्मार्टफ़ोन निर्यात में पचास फ़ीसदी तक की कमी आ सकती है.


पर्यटन


चीन के पर्यटक पर्यटन पर सबसे ज़्यादा ख़र्च करने के लिए जाने जाते हैं.


दुनिया में सबसे ज़्यादा पर्यटक चीन से ही आते हैं. जितना पैसा वो ख़र्च करते हैं दुनिया के किसी और देश के नागरिक नहीं करेत.


चाइना टूरिज़्म एकेडमी के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक चीन के लोगों ने साल 2018 में 15 करोड़ यात्राएं की.


यूनाइटेड नेसंश वर्ल्ड टूरिज़्म आर्गेनाइज़ेशन के मुताबिक उन्होंने पर्यटन पर 270 अरब डॉलर ख़र्च किए जो अमरीकी पर्यटकों के कुल ख़र्च 144.2 अरब डॉलर से बहुत ज़्यादा है.


ये म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम के लिए बुरी ख़बर है. इन देशों में बीस प्रतिशत पर्यटक चीन से ही आते हैं.


असर अमीर देशों पर भी हो रहा है. पेरिस में चीनी पर्यटक अपनी यात्रा के दौरान औसतन 1100 डॉलर ख़र्च करते हैं. लग्ज़री सामान बेचने वाली दुकानों में अब चीनी पर्यटक दिखाई नहीं दे रहे हैं.


पेरिस सिटी सेंटर में ड्यूटी फ्री आउटलेट पेरिस लुक में काम करने वाले शोमफुनूट सूप्राडीटेप्रॉन को लगता है कि अगर ऐसा ही रहा तो उनके पास नौकरी नहीं रहेगी.


विमान किराया कम हो सकता है


चीन में हवाई अड्डे इन दिनों खाली ही दिखाई दे रहे हैं


कोरोनावायरस की वजह से लगे यात्रा प्रतिबंधों ने देसी और विदेशी उड़ानों को प्रभावित किया है.


द इंटरनेशनल एयर ट्रांस्पोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि कोरोनावायरस की वजह से एयरलाइन उद्योग को साल 2020 में 29.3 अरब डॉलर का नुक़सान होगा.


हालात चीन और एशिया-प्रशांत क्षेत्र से संचालित कंपनियों के लिए ज़्यादा ख़राब हैं. इन कंपनियों को 27 अरब डॉलर तक का नुक़सान उठाना पड़ सकता है.


ये हैरत की बात भी नहीं है क्योंकि हवाई यात्रा की मांग इस क्षेत्र में बढ़ रही थी.


आईएटीए के मुताबिक एयरलाइनों को कड़े फ़ैसले लेने पड़ रहे हैं. वो क्षमता कम करने के अलावा रूट तक बंद कर रही हैं.


आईएटीए के महानिदेशक एलेक्ज़ेंडर डे जूनियाक कहते हैं, "ये एयरलाइनों के लिए मुश्किल साल रहने वाला है."


लेकिन इसका यात्रियों को फ़ायदा हो सकता है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एयरलाइनों को टिकटों के दाम कम करने पड़ सकते हैं ताकि वो सीट के जो दाम मिल सके वो ही ले लें.


हवाई यात्रा उद्योग विशेषज्ञ पीटर हार्बिसन ने ट्रेवलर मैग्ज़ीन को बताया, "एयरलाइनों को कोरोनावायरस के प्रभाव कम करने के लिए टिकटों की क़ीमतें कम करनी पड़ेंगी. "


सस्ते तेल और खनिज अफ़्रीकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे


अंगोला अपने तेल का 67 फ़ीसद चीन को भेजता है


2009 में चीन अमरीका को पछाड़कर अफ़्रीका का सबसे बड़ा व्यवसायिक सहयोगी बन गया था.


ये रिश्ता मुख्यतः माल असबाब की वजह से ही है. उदाहरण के तौर पर अंगोला अपना 67 प्रतिशत तेल चीन को निर्यात करता है.


लेकिन ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ़रवरी में चीन में तेल की ख़पत में बीस प्रतिशत की गिरावट आई. और इसके वजह से क़ीमतें कम हो गईं.


चीन अफ़्रीका से तांबा भी आयातित करता है और इसकी क़ीमतें भी कम हो गई हैं.


लंदन के ओवरसीज़ डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता डर्क विलेम का अनुमान है कि अफ़्रीकी देशों को 4 अरब डॉलर तक का नुक़सान उठाना पड़ सकता है.


और फैल रहा है वायरस


इटली और ईरान में कोरोनावायरस के नए संक्रमण सामने आने का असर भी व्यापार पर हुआ है.


इटली में प्रभावित क्षेत्रों में व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद किया गया है.


बड़ा सवाल ये है कि क्या सुरक्षा उपाय पर्याप्त हैं, या क्या आगे होने वाले लॉकडाउन दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे.